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Saturday, May 28, 2011

आरक्षण या सशक्तिकरण.....

सोशल नेटवर्किंग साईट पर एक चर्चा देखी! चर्चा महिला आरक्षण से सम्बंधित थी! महिला आरक्षण से आज एकदम से दिमाग में महिलाओं को पचास फीसदी आरक्षण की बात आती है और संसद में बैठी हुई 270 महिलाओं की तस्वीर आती है! लेकिन हम नारी उत्थान और सशक्तिकरण को केवल चुनाव से ही क्यों जोड़ते है? क्या राजनीति ही केवल मात्र नीति शेष है किसी भी वर्ग के उत्थान के लिए?
जब महिला सशक्तिकरण विधेयक की "ब्रांडिंग" हो रही थी सरकार द्वारा तब एक ही बात प्रचारित हो रही थी की महिला सशक्त होगी......पञ्च सरपंच संसद विधायक बनेगी.......
और देश की महिलाओ को एक स्वप्न दिखा दिया लालबत्ती का और कहा की संसद बनो पञ्च बनो और उत्थान हो जाएगा ..... इसके पीछे ये धारणा रही की जब कोई महिला किसी संवेधानिक पद पर रहेगी तो नारी उत्थान की नीतिया बनेगी इत्यादि...लेकिन एक बात को स्पष्ट करना ज़रूरी है की महिलाओ के जिस वर्ग के उत्थान की बात हो रही है उनको ही लाभ मिलेगा इसके लिए यदि कोई प्रबंध सरकार ने किया हो तो उसका प्रचार भी कराया जाये!!
इस विधेयक का स्वागत है और नारी का उत्थान होना चाहिए....लेकिन उत्थान उनका हो जो पिछड़े है गरीब है..सत्ता के केंद्र में इस बात की चिंता हो की पिछड़ी महिला शक्ति आगे आये..महिला ही क्यों हर पिछड़ा व्यक्ति आगे आये.. इसके लिए जो ठोस नीति बन रही है यदि तो उसका प्रचार होना चाहिए....केवल महिलाओं को सांसद बनाने से समस्या हल नही होगी!कितनी महिलाए सांसद पञ्च सरपंच बनेगी और देखना ये भी चाहिए की जहा जहा अभी महिला आरक्षण है वहा कितना महिला सशक्तिकरण का काम हुआ है! किस सीट से कोण महिला आं तबके की संसद में है? जो पञ्च सरपंच बनी है उनकी शक्ति का केंद्र कहाँ है? बहुत अची बात की ये विधेयक पास हो और कानून बने महिला आरक्षण का..लेकिन ये आरक्षण सशक्ति करण की दिशा में एक सही कदम साबित हो इसके लिए ठोस प्रबंधन की जरुरत है..और सरकार को इसका प्रचार करना चाहिए की क्या नीति बनी है!
आरक्षण और सशक्तिकरण में बहुत बड़ा अंतर है और अपने देश में आरक्षण तो बहुत है लेकिन सशक्तिकरण की दिशा में कदम उठाने की जरुरत है....आम चर्चा ये न बने की कितनी महिलाए विधायक सांसद बनेगी बल्कि ऐसी चर्चा रहे कि पिछड़ी असुरक्षित महिला के साथ न्याय केसे हो?विधेयक का स्वागत है आरक्षण का भी स्वागत है लेकिन आरक्षण से सशक्तिकरण कि राह बने इसकी चिंता सरकार करे और नीति को सार्वजानिक करे कि क्या सिर्फ सांसद विधायको कि महिला बटालियन बनाने का इरादा है या एक ऐसा समाज जहा हर कोई सुरक्षित और और महिला सशक्त हो... ......
सौरभ शिमला