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Thursday, February 3, 2011

घोटालो का शोर


लोकसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है! और देश में एक के बाद एक घोटालो का पर्दाफाश हो रहा है! लेकिन इतने घोटालो का होना और सरकार का मौन रहना भी चिंता का विषय है! जब आम चुनाव हुए थे तब भाजपा ने प्रधानमन्त्री के कमज़ोर होने का मुद्दा उठाया था, लेकिन कॉंग्रेस उनकी साफ़ छवि को भुनाती रही लेकिन आज के परिदृश्य में भाजपा का वो आरोप सही साबित होता नज़र आ रहा है! क्या प्रधानमन्त्री कमज़ोर है जो कि मंत्री परिषद् में नाम कोई सलाहकार जो व्यापार जगत में चर्चित हो या कोई बड़ा व्यापारी या कोई पत्रकार निश्चित कर रहा है! क्या प्रधानमन्त्री ऐसा करने में सक्षम नही थे? यदि थे तो इस दलाली का जवाब भी उन्हीको देना होगा! लेकिन वो मौन रह कर तमाशा देख रहे है! आज कॉंग्रेस जान चुकी है कि देश की जनता को आज मनमोहन की छवि आकर्षित नही करती है! भरष्टाचार के मुद्दों पर चुप रह कर उनकी छवि को जंग लग गया है ! और कोई हैरानी नही होनी चाहिए यदि आने वाले समय में मनमोहन सिंह जी की विदाई हो जाए! लेकिन ये आते जाते रहेंगे मुद्दा है भर्ष्टाचार का, महंगाई का उसका क्या होगा? एक ओर महंगाई और गरीबी कम करने ,हटाने की बात होती है और दूसरी ओर होते है घोटाले! लाखो करोड़ रूपये के ! और सरकार कार्यवाही नही बल्कि महज़ अपना बचाव करती है! नही तो क्या कारण है की मंत्री पद से हटने के बाद राजा को आज तक गिरफ्तार नही किया? आज ८० दिन हो गये है! राष्ट्रमंडल खेलो की कहानी भी यही है! कलमाड़ी भी पूरे ठाट बाठ से रुक्सत हुए जेसे आपने काम से देश की छवि को चमका गये हो!
कारगिल युद्द में उन परिवारों को जिन्हों ने कोई सदस्य खोया है सरकार ने मुंबई में एक बिल्डिंग बनाई साड़ी अनुमतिया कारगिल शहीद के नाम पर दी गयी, लेकिन उसमे भी भरष्टाचार हुआ, नेताओं के नाम फ्लैट निकले! और पूर्वमुख्यमंत्री अशोक चावान बन गये आरोपी संख्या १० ! लेकिन क्या मात्र इस्तीफ़ा दिलाना ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही है! कलमाड़ी ने इस्तीफ़ा दिया,चव्वान ने दिया और राजा भी हिरासत में है लेकिन जो सरकार की चुप्पी और भ्रष्टाचारी बचाओ नीति के तहत देश का आर्थिक नुक्सान हुआ है उसका क्या होगा? वो पैसा कहा से आएगा? उसकी जवाबदेही किसकी होगी? ये पैसा किसी कि बपौती नही है बल्कि देश के लोगो का हक है!
एक बात जो सभी को समझ लेनी चाहिए कि गरीभी हटाओ और भ्रष्टाचारी को बचाओ की नीति साथ साथ नही चल सकती और भ्रष्टाचारी को बचाते रहे तो जनाक्रोश का जो उदाहरण एक देश में आजकल दिख रहा है यहाँ भी हो सकता है! तो क्यों न दिखावा छोड़ के इमानदारी से काम करे! राजा को केवल इस लिए हे गिरफ्तार न किया जाए कि विपक्ष का मूंह बंद हो बल्कि जनता को जवाब देने है तो कार्यवाही होनी चाहिए जो नुक्सान हुआ है उसकी भरपाई होनी चाहिए और सरकार से यदि संयुक्त संसदीय समिति की मांग हो रही है तो उसे मान कर कड़ी कर्यवाहो हो !
आम जनता को भी जागरूख होना चाहिए , अन्याय का विरोध सभी को करना है ये किसी वर्ग विशेष कि जिम्मेवारी नही है! और आज भी कॉंग्रेस के संघठन के लोग अपने को पाक साफ़ बताते है लेकिन उनकी नीत सरकार आकंठ भ्रष्ठाचार में डूबी है! एक ओर राहुल सुशासन की बात करते है दूसरी ओर उनकी सरकार कहती है कि सी वी सी की नियुक्ति के समय उनपे हुए मुकद्दमे की जानकारी नही थी! और आज तक पी जे थोमस पूरी हेकड़ी के साथ अपने पद पर विराजमान है! जबकि विपक्ष की नेता ने संसद से लेकर सड़क तक उनकी नियुक्ति का विरोध किया लेकिन सरकार तो जेसे प्रतिबद्द थी कि नियुक्ति होगी तो थोमस की!
क्या ऐसा लड़ा जायेगा भ्रष्टाचार से? जनता जवाब मांग रही है! आज सरकार से पूछो तो जवाब होता है कि भाजपा नीत सरकार ने नही किया या ऐसा किया ! जनता सरकार से पूछ रही है कि सरकार ने क्या किया? सरकार का जवाब तुलनात्मक न हो कर सटीक होना चाहिए! चीन्ताकाशी की राजनीति कब तक चलेगी? हमें किसने क्या किया ऐसा नही बल्कि आप क्या कर रहे इसका उत्तर चाहिए! आज राहुल की एक सकारात्मक छवि बनाने की कोशिश हो रही है जबकि उनकी पार्टी सत्ता में है और भ्रष्टाचार चरम पर है ! इसका जवाब देने के बजाए सत्ता केसे चले इस पर भाषण होता है! देश की जनता को सोचना है कि हर चमकने वाली चीज़ सोना नही होती!
सौरभ चौहान
शिमला

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