यारो किसी माहौल में ढलता नहीं हूँ मैं ! ठोकर लगे तो राह बदलता नहीं हूँ मैं !! रख दूँ जहाँ कदम नए रास्ते बनें ! खीचीं हुई लकीरों पर चलता नहीं हूँ मैं !!
Wednesday, January 26, 2011
भारत के संसाधन भारत के खिलाफ
भारत एकता यात्रा युवाओं का संघर्ष है, वो संघर्ष जो भारत को एक रखने के लिए और कश्मीर अपना अभिन्न अंग है ऐसी भावना के साथ शुरू हुआ ! तिरंगे के सम्मान की खातिर शुरू हुई इस यात्रा को भटकाने की कोशिश की जा रही है! एकता यात्रा तमाचा है ! लेकी ये तमाचा किस के मूंह पर है ये देखने की बात है! तमाचा था अलगाववादियों के मूंह पर और दर्द हो रहा है भारत की सरकार को अमर अब्दुल्ला को! सेना का मनोबल गिराने को आतुर ये कथित सरकार निंदा के काबिल है! कश्मीर की समस्या क्या है? ये जाने बगेर ही समाधान की बात की जा रहे है! कश्मीर समस्या का मूल है इसका विशेष राज्य का दर्ज़ा धरा ३७०! जम्मूकश्मीर की अलगाववादियों की भोंपू सरकार के सामने अपने देश का झंडा जलता है! मनमोहन सिंह की सरकार गिलानी को भोंकने देती है और जब भारत का युवा अलगाववादियों को जवाब देने जा रहा है तो सरकार को व्यवस्ता याद आती है! केसा शासन हो रहा है अलगाववादियों को राष्ट्रवाद को कुचलने की शर्त पर खुश रखा जा रहा है! जो माहोल पूरे देश में यात्रा से बना था वो वोट की राजनीति को एक झटका था! लेकिन वोट की राजनीति करने वाले इन लोगो को ये रास नही आया! एक तरफ देश की एकता और अखंडता की कसमे खाते है और दूसरी ओर जम्मू और कश्मीर में अलगाववादियों के पैरो में गिरते है! उनकी भाषा बोलते है! और ये भाषा बोलने वाले आसानी से स्वीकार किये जाते है! गिलानी , अरुंधती के भाषणों को कोई नही भूला है लेकिन उनको सजा के नाम पर कुछ नही मिला बल्कि उनको मुफ्त की मशहूरी मिली है! जम्मू और कश्मीर जो हर चीज़ के लिए केंद्र पर निर्भर है और जहा की जनसँख्या लगभग २ प्रतिशत और और देश के संसाधन का लगभग १२ प्रतिशत वहा खर्च होता है फिर भी शान्ति नही है और अलगाववाद का बोलबाला है, इतना बदतर राज है की तिरंगा यात्रा को रोका जाता है माहोल बिगड़ने के नाम पर? केसा माहोल है वहा का जो राष्ट्रीय ध्वज के फेहराने से बिगड़ जायेगा? हम आज एक ऐसे भारत में रह रहे है कि जहा तिरंगा फेहराने को ले कर कई लोगो को पसीने आ रहे है! देश की युवा शक्ति कूच करती है उन्हें व्यवस्था बिगड़ने के नाम पर रोका जाता है! ऐसी केसी व्यवस्था हो गयी है कश्मीर में? कोन सी व्यवस्था है ,? बाकी राज्यों में तो ऐसा नही होता? इतनी सहायता फिर भी व्यवस्था भारतीयता और राष्ट्रवाद के खिलाफ बोल रही है! पिछले दिनों वहा इतना संघर्ष हुआ सेना ने एक गोली नही चलाई लेकिन सेना पर पथराव हुआ तब व्यवस्था केसी थी? तब कोन थे वहा जब भारत का झंडा जलता है और पाकिस्तान कि जय जैकार होती है!? क्या अब ये सब होगा? हो भी सकता है, दिल्ली में है कांग्रेस शाही , कश्मीर में है अब्दुल्लाशाही!
जब जब इन दोनों में दोस्ती हुई राष्ट्रवाद को खतरा हुआ है! जो दर्द जो जख्म शेइख-नेहरु की दोस्ती ने दिया आज ओमर-राहुल भी उसी राह पर चले है! पहले जांच हो, कि जो सहायता कश्मीर को मिलती है उसका सही उपयग क्यों नही होता? क्यों हालात में सुधार नही है! क्यों कि कश्मीर के मुख्यमंत्री गरीबी का रोना रोते है जबकि दिल्ली से मूंह माँगा मिलता है! हालात देख के जान पड़ता है कि वो राशी जो जम्मू और कश्मीर के लोगो के लिए है गलत हाथो में जा रही है! दोस्ती निभाई जा रही है और जख्म को नासूर किया जा रहा है!
सारे देश से युवा शक्ति वहा है और जब कोई दक्षिण भारत , पूर्वी भारत या पश्चिमी/उत्तर का कोई युवा लालचोक पर तिरंगा लहराएगा तो एक सन्देश जाएगा कि भारत का युवा कोई उत्तर दक्षिण का नही भारत का है और सोदूर दक्षिण ,पूर्व से कश्मीर आया है एकता का सन्देश ले कर, और अलगाववादी और उनके भोंपू याद रखे कि आज तिरंगा लहराया है कल उनको भी मार भगायेंगे ऐसा मदद अपने युवा रखते है!
फिर भी एक बात जो अलगाववादी ताकतों के भोंपू और कुछ यहाँ वहा भोंकने वाले कुत्ते याद रखे कि आज भारत का युवा जगा है , ये एक चेतावनी है आखरी मौका है हश्र क्या होगा कल्पना कर ले!
भारत माँ ने आवाज़ लगाई
नही चलेगी अब्दुल्ला शाही
सौरभ शिमला
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bahut khub saurabhji..........shandar prastuti hai is lekh me....wakai me aap our ham log aasani se smj jate hai to ye napusank sarkaar kyo murkh hai pta nhi,,,,,?
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