आज अपना देश दो दिवंगत विभूतियों का जन्मदिन मना रहा है! एक गाँधी जी जो राष्ट्र पिता के नाम से जाने जाते है! दुसरे लाल बहादुर शास्त्री जी जो देश के कुछ श्रेष्ट प्रधानमंत्रियो में गिने जाते है! जय जवान जय किसान का नारा हो या गांधी जी का भारत छोडो इसमें स्वदेशी की महक थी ! खादी ने भी एक अस्त्र के रूप में काम किया था! जब देश में फिरंगियों ने विदेशी चीजों का प्रचालन बड़ा दिया था तब भी खादी ही अस्त्र था ! आज भी देश में एक संकट है! हम विदेशियों के मायाजाल में फंस चुके है! विदेशी कपडे या कुछ और जो हम खरीदते है सारा का सारा अपनी कमाई का पैसा बहार भेज देते है ! और अपने देश के बेरोजगार तो बेरोजगार और जो भी काम करने वाले है उनका काम बंद होता जा रहा है! खादी की बात करे तो देश में काफी लोग इस काम में लगे है वे सभी अपने भाई है! उनके हाथ मज़बूत हो ऐसा करना अपना कर्त्तव्य है! आज दो महान विभूतियों की जयंती पर मेरा ये आवाहन है कि आज से स्वदेशी कि शुरुआत करे! खादी आरामदायक होती है और महंगी भी नही है! आज से छूट भी है तो खादी जरूर खरीदे और पहने भी ! इसे आपने जीवन का हिस्सा बनाये! अपने भाइयो के हाथ मज़बूत होंगे तो देश मज़बूत होगा!
देश अपना खादी अपनी
वन्दे मातरम
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