
वर्तमान में अपने समाज में आधुनिकता का जो नाटक चल रहा है वो अपने को किस दिशा में ले जा रहा है समाज से परे है ! आज आधुनिक होने और दिखने के चक्कर में आज किसी कि हत्या करना भी आम बात हो गयी है! में बात कर रहा हू ऑनर किलिंग की ! आज हरयाणा , राजस्थान , पंजाब, मध्यप्रदेश जेसे प्रदेशो में पारिवारिक सम्मान के नाम पर हत्या जेसा जघन्य अपराध किया जाता है! इस मुद्दे पर बात हो रही है तो खाप पंचायतो का नाम आना लाज़मी है! हरयाणा में इसका खासा प्रभाव है और पिछले दिनों जेसा कहा जा रहा है कि ऑनर किलिंग की घटनाओ में वृद्धि हुई है! लेकिन मुझे लगता है कि वृद्धि तो पता नही लेकिन ऑनर किलिंग नाम की कुरीति भी अपने समाज में है इसका पता सरे देश को अपने मीडिया के माध्यम से चला है! ऐसा मानना है कि घटनाए तो पहले भी बहुत होती होगी लेकिन उजागर होने का साधन के आभाव में समाज या देश में चर्चा नही होती होगी! आज तरह तरह की बाते होती है की गरीबी कारण है इसका या खाप जो है राजनीतिक काम कर रही है जातिगत काम कर रही है! लेकिन देखे तो सब कुछ पहले जेसा है! लेकिन कुछ विकृति आ जाने से सब गड़बड़ हुआ है! जाती व्यवस्था अपने यहाँ सदियों पुरानी है लेकिन इस व्यवस्था में विकृति आ जाने के कारण कुरीती की संज्ञा दी गयी! किसी ने उस विकृति को हटाने की कोशिश नही की वरन जाति व्यवस्था नाम का कोई व्यवस्था हे नही ऐसा प्रचारित करना शुरू कर दिया! दूसरा आर्थिक कारण की बात आये तो ये बात सामने आती है कि आर्थिक कोई भी असर इस मसले पर नही है! यहाँ समस्या समाज के सामाजिक मूल्यों के ह्रास और असली मूल्यों को दरकिनार करने से है! आज आर्थिक दृष्टि से देखे तो जाति व्यवस्था चिन्न भिन्न हो कर एक वर्ग में तब्दील हो रही है! लेकिन जो सामाजिक बंधन है जो मूल्य है उसका संरक्षण भी जरुरी है! सीढ़ी बात कहे तो ये है कि अपने समाज में इज्ज़त को हमेशा लड़की से जोड़ कर देखा जाता है, गाज भी उन्ही पर गिरती है! उनके पहनावे से ले कर मित्र वर्ग और कोई भी निर्णय परिवार कि इज्ज़त से जुड़ जाता है! ये भी कोई अची बात नही! इज्ज़त ठीक है लेकिन अगर कोपी ऐसा कदम उठाया जाता है जिसे तथाकथित इज्ज़त का हरण कहा जाए तो हत्या जेसा अपराध करना सही नही है! इसके लिए जरुरी है शिक्षा ! आधिनिकता कि शिक्षा!ये आधुनिकता नही जो कि समाज और व्यवस्था कि परिभाषा बदलती है लेकिन ऐसी शिक्षा जो इन सब व्यवस्थाओ और मूल्यों का संरक्षण करते हुए अपने समाज को मन से आधिनिक बनाये और जो सही में कुरीतिय अपने समाज में पनप रही है उसका खत्म हो! अपने को ऐसी शिक्षा कि जरुरत है! अपने को ऐसी शिक्षा नही चाहिए जो ये कहे कि जाति कोई व्यवस्था नही लेकिन ऐसी शिक्षा हो जो ये कहे कि जाति व्यवस्था में अस्पृश्यता जेसी कोई बात नही ! समाज में जो पाने मूल्यों का खत्म हो रहा है उसे संजोने की और जो कुरीतिय है जिस से जान माल का नुक्सान होता है उन्हें ख़त्म करने कि जरुरत है! पारिवारिक एक जुटाना लाने की जरुरत है! समाज के नियम सही है लेकिन क्या हत्या भी सही है यदि नही तो समाज का वो नियम सही नही है! इसके लिए कोई कानूनी बाध्यता नही बल्कि शिकाह्सा सही मायने में शिक्षा ही एकमात्र उपाय है! आमजन को समाज के ताने बाने से परिचित कराया जाए सही व्यवस्था क्या है इस बात से परिचय हो! न कि कोई ऐसा कहे कि ऐसी कोई व्यस्था हे नही वरन कहे कि अपना समाज व्यवथा से चल रहा है जहा कोई भी अपराध को जगह नही है! लड़की कोई समाज के ठेकेदारों के हाथ का खिलौना बन के न रहे ऐसा प्रयास भी होना चाहिए! ऐसा तभी होगा जब सभी को व्यवस्था का सही ज्ञान होगा! अपने जो जीवन के उच्च मूल्याहोने चाहिए उसका ज्ञान होगा! खाप कि बात करे तो ये भी एक सदियों पुरानी व्यस्था है लेकिन किसी विकृति के कारण अपराध को बढावा दिया जाए तो उस विकृति को समाप्त करना एक मात्र समाधान होता है न कि व्यवस्था को समाप्त करना! एक बार फिर में अपने राष्ट्र के युवाओं से अपील करता हुआ कि आज जरुरत है अपने समाज पनपी हर उस विकृति को ख़त्म करने कि जो इसे खोकला कर रही है! समाज का मसला हम सब का मसला है ऐसा सोच कर काम करने की! समाज को बदलने कि बकात है तो पहले हमे अपने को बदलना होगा
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