यारो किसी माहौल में ढलता नहीं हूँ मैं ! ठोकर लगे तो राह बदलता नहीं हूँ मैं !! रख दूँ जहाँ कदम नए रास्ते बनें ! खीचीं हुई लकीरों पर चलता नहीं हूँ मैं !!
Wednesday, September 29, 2010
ऑनर किलिंग मतलब अपनी इज्ज़त की हत्या?
वर्तमान में अपने समाज में आधुनिकता का जो नाटक चल रहा है वो अपने को किस दिशा में ले जा रहा है समाज से परे है ! आज आधुनिक होने और दिखने के चक्कर में आज किसी कि हत्या करना भी आम बात हो गयी है! में बात कर रहा हू ऑनर किलिंग की ! आज हरयाणा , राजस्थान , पंजाब, मध्यप्रदेश जेसे प्रदेशो में पारिवारिक सम्मान के नाम पर हत्या जेसा जघन्य अपराध किया जाता है! इस मुद्दे पर बात हो रही है तो खाप पंचायतो का नाम आना लाज़मी है! हरयाणा में इसका खासा प्रभाव है और पिछले दिनों जेसा कहा जा रहा है कि ऑनर किलिंग की घटनाओ में वृद्धि हुई है! लेकिन मुझे लगता है कि वृद्धि तो पता नही लेकिन ऑनर किलिंग नाम की कुरीति भी अपने समाज में है इसका पता सरे देश को अपने मीडिया के माध्यम से चला है! ऐसा मानना है कि घटनाए तो पहले भी बहुत होती होगी लेकिन उजागर होने का साधन के आभाव में समाज या देश में चर्चा नही होती होगी! आज तरह तरह की बाते होती है की गरीबी कारण है इसका या खाप जो है राजनीतिक काम कर रही है जातिगत काम कर रही है! लेकिन देखे तो सब कुछ पहले जेसा है! लेकिन कुछ विकृति आ जाने से सब गड़बड़ हुआ है! जाती व्यवस्था अपने यहाँ सदियों पुरानी है लेकिन इस व्यवस्था में विकृति आ जाने के कारण कुरीती की संज्ञा दी गयी! किसी ने उस विकृति को हटाने की कोशिश नही की वरन जाति व्यवस्था नाम का कोई व्यवस्था हे नही ऐसा प्रचारित करना शुरू कर दिया! दूसरा आर्थिक कारण की बात आये तो ये बात सामने आती है कि आर्थिक कोई भी असर इस मसले पर नही है! यहाँ समस्या समाज के सामाजिक मूल्यों के ह्रास और असली मूल्यों को दरकिनार करने से है! आज आर्थिक दृष्टि से देखे तो जाति व्यवस्था चिन्न भिन्न हो कर एक वर्ग में तब्दील हो रही है! लेकिन जो सामाजिक बंधन है जो मूल्य है उसका संरक्षण भी जरुरी है! सीढ़ी बात कहे तो ये है कि अपने समाज में इज्ज़त को हमेशा लड़की से जोड़ कर देखा जाता है, गाज भी उन्ही पर गिरती है! उनके पहनावे से ले कर मित्र वर्ग और कोई भी निर्णय परिवार कि इज्ज़त से जुड़ जाता है! ये भी कोई अची बात नही! इज्ज़त ठीक है लेकिन अगर कोपी ऐसा कदम उठाया जाता है जिसे तथाकथित इज्ज़त का हरण कहा जाए तो हत्या जेसा अपराध करना सही नही है! इसके लिए जरुरी है शिक्षा ! आधिनिकता कि शिक्षा!ये आधुनिकता नही जो कि समाज और व्यवस्था कि परिभाषा बदलती है लेकिन ऐसी शिक्षा जो इन सब व्यवस्थाओ और मूल्यों का संरक्षण करते हुए अपने समाज को मन से आधिनिक बनाये और जो सही में कुरीतिय अपने समाज में पनप रही है उसका खत्म हो! अपने को ऐसी शिक्षा कि जरुरत है! अपने को ऐसी शिक्षा नही चाहिए जो ये कहे कि जाति कोई व्यवस्था नही लेकिन ऐसी शिक्षा हो जो ये कहे कि जाति व्यवस्था में अस्पृश्यता जेसी कोई बात नही ! समाज में जो पाने मूल्यों का खत्म हो रहा है उसे संजोने की और जो कुरीतिय है जिस से जान माल का नुक्सान होता है उन्हें ख़त्म करने कि जरुरत है! पारिवारिक एक जुटाना लाने की जरुरत है! समाज के नियम सही है लेकिन क्या हत्या भी सही है यदि नही तो समाज का वो नियम सही नही है! इसके लिए कोई कानूनी बाध्यता नही बल्कि शिकाह्सा सही मायने में शिक्षा ही एकमात्र उपाय है! आमजन को समाज के ताने बाने से परिचित कराया जाए सही व्यवस्था क्या है इस बात से परिचय हो! न कि कोई ऐसा कहे कि ऐसी कोई व्यस्था हे नही वरन कहे कि अपना समाज व्यवथा से चल रहा है जहा कोई भी अपराध को जगह नही है! लड़की कोई समाज के ठेकेदारों के हाथ का खिलौना बन के न रहे ऐसा प्रयास भी होना चाहिए! ऐसा तभी होगा जब सभी को व्यवस्था का सही ज्ञान होगा! अपने जो जीवन के उच्च मूल्याहोने चाहिए उसका ज्ञान होगा! खाप कि बात करे तो ये भी एक सदियों पुरानी व्यस्था है लेकिन किसी विकृति के कारण अपराध को बढावा दिया जाए तो उस विकृति को समाप्त करना एक मात्र समाधान होता है न कि व्यवस्था को समाप्त करना! एक बार फिर में अपने राष्ट्र के युवाओं से अपील करता हुआ कि आज जरुरत है अपने समाज पनपी हर उस विकृति को ख़त्म करने कि जो इसे खोकला कर रही है! समाज का मसला हम सब का मसला है ऐसा सोच कर काम करने की! समाज को बदलने कि बकात है तो पहले हमे अपने को बदलना होगा
Saturday, September 18, 2010
कितने टुकड़े और
कहा जाता है कि भारत प्रगति के पथ पर आगे बढ रहा है! कुछ कहते है कि दोड़ रहा है! लेकिन किधर दोड़ रहा है ? ये पथ का अंत कहा होगा? क्या भविष्य है ? सभी को मालूम होते हुए भी किसी को नही मालूम!
आज bbc uk की वेबसाइट देखि तो पता चला कि कश्मीर अलग देश है! नया सामान्य ज्ञान तेयार हो रहा है और अपनी सरकार सो रही है! सरकार सो रही है ये भी लाज़मी है जब काम का इतना बोझ हो तो क्या करे?एक सोनिया जी थी हर बेठो! अब तो राहुल बाबा भी है! काम दुगना हो गया! केसे समय मिलेगा देश के लिए! हो सकता है कि साइज़ छोटा करने कि मुहीम में जुटे हो!यदि नही तो जागते क्यों नही है! क्यों कहा दुबक के बेठे है? कश्मीर को अलग दिखने को एक गलती मान सकते है वो लोग जिसके पास दिमाग नही है! कश्मीर एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है इस दृष्टि से कि यहाँ पर बहुतो कि बुरी नज़र है! सरकार के पास समय नही है! कहा से होगा व्यस्त बहुत है! गृहमंत्री आजकल पेंट कर रहे है आतंकवाद को वोट का महल बना रहे है! अपने देश के वीर जवान शहीद हो रहे है और ये सर्वदलीय बैठक से आगे नही बढ पा रहे है! बात करे शरद पवार की तो लगता है कि गरीबी बढाओ पर विशवास रखते है! वेसे उन्हें दोष देना सही भी ही क्यों कि वो पार्ट टाइम मिनिस्टर है फुल टाइम सेवाए तो क्रिकेट पे जा रही है! कहते है की क्रिकेट में भ्रष्टाचार बर्दाश्त करेंगे! वहा नही होना चाहिए भ्रष्टाचार यहाँ देश की जनता को अनाज मिले न मिले! क्या कारण है की हर बार कहा जाता है कि इस बार पैदावार बम्पर है तो रेट क्यों बम्पर हो जाते है? वो भी किसान को तो दाम मिलता नही! बिचौलिए प्राइवेट लिमिटेड क्यों बंद नही हो रही है पवार जी? पहले कहा कि १० दिन में महंगाई कम ५ दिन में कम ७ दिन में कम ऐसा करते करते कई साल निकल गये! और जनता कि जेब से खून पसीने की कमाई कहा कहा न जाने किस किस की जेब में पहुँच गयी! जनता को मिला तो सिर्फ दिलासा और मजाक! कभी कहा की चीनी का सेवन कम करो, कभी कहा कि मंत्री जी कोई भविष्यवक्ता नही! इनकी कहानी ऐसे हे है..नही ठीक होगी न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी...न मनमोहन जी हटा सकते है न शरद जी जनता का सोच सकते है!
फिरर बात करे अपने कृष्ण जी कि तो क्या काम है उनका शायद उनको समझ नही आया! ज्यादा कुछ किया नही लेकिन जो ये कश्मीर को अलग दिखाने वाला मुद्दा है उस पे सोचे कड़ी कार्यवाही करे! वेसे पिछले कार्यकाल में शिवराज पाटिल जी टीप टॉप मिनिस्टर थे इस बार इनका नाम बड़े अदब से लिया जा सकता है!
अब बात करे सिब्बल जी की तो उन्होंने तो एक ही दिन में क्या क्या करने की ठानी और भारत के मेकाले बन के रह गये! बिना परीक्षा अगली कक्षा में! ग्रेड सिस्टम पता नही क्या क्या? शिक्षा में क्या आवश्यकता थी उसका पता इनको भी नही है शायद!
नौ मन्न तेल की बात हुई तो तेल मंत्री को देखा जाए क्या हो रहा है तो एक बात समझ नही आ रही की जब एनी देशो में तेल के दाम इतने कम है तो अपने देश में क्यों नही? किसी के पास जवाब हो तो जनता बेसब्री से इंतज़ार कर रही है! ममता जी की बात करे तो कोलकाता मंत्री है लाखो खर्च हो जाते है सिर्फ फाइल को कोल्कता ले जाने में! मिशन कोलकाता पर है आजकल! बाकी जो बच गये है उनके पास बहुत काम है मेने पहले बता दिया है! तो मिशन भारत पर कोन चलेगा? कोन आवाज़ उठेगा इन विदेशियों के सामने ? कि कश्मीर अपने अंग है कोई देश नही! वेसे देश बनने का इंतजाम तो हो रहा था लेकिन श्यामा प्रसाद जी का चिंता बलिदान और सबसे बड़ा इस देश कि जनता का देश प्रेम जो देश द्रोहियों का अभियान फेल हो गया! अब दोबारा शुरू हो रहा है तो जवाब देना जरुरी है.! सरकार के पास टाइम नही है! लेकिन देश कि जनता को जागना होगा ! जब पहरी सो रहे है तो अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी!
Friday, September 17, 2010
कश्मीर कि आग
क्या कारण है कि सरकार मजबूर नज़र आ रही है? इस सरकार कि मुस्लिम तुष्टिकरण कि नीति भी समाज नही आ रही ! मुस्लिम इस देश का नागरिक है और आतंकवाद और अलगाववाद का खत्म चाहता है और अपनी उन्नति चाहता है! लेकिन कुछ दल उनका " उत्थान " के लिए चिंतित है और उन्हें अलग कर के उत्थान करना चाहते है! लेकिन एक बात भूल जाते है कि सबका विकास इस समाज में रह कर हो सकता है! अगर अपने हाथ में दर्द हो तो उसका इलाज़ काट कर नही किया जा सकता! वेसे हे अगर किसी कि उन्नति कि बात है तो मुख्यधारा में ला कर हे हो सकती है! लेकिन इस तरह की घटिया राजनीति वाले आज असमंझस कि स्थीती में है जबकि राष्ट्रभक्त और साचा मुसलमान आज कश्मीर कि आग बुझाना चाहता है! लेकिन इस से सरकार कि राजनीति ख़त्म हो जाएगी!
समाज ?
Thursday, September 9, 2010
Truth written in poor English....
raaho me rukaaavto ko kyu jagah dein hum..
yeh to apni raah hai yaha sirf hum challenge
If we look back, we have our rich past as culture and long history of ups and downs. In my motherland we are being brought up between the environment of cast religion, culture and our strict system. We are being blessed with many things which are essential in prosperous life rather I must say for prosperous life. There may be some flaws as everywhere but there is a mirror for so called educated people. We all need to study about ourselves, our history and rich culture.
First I will write about caste system.
That time caste system was an effective and ordered system but race with time made it social evil. In the freedom struggle caste system played a great role. People grouped according to their caste and the destination was same, the freedom. This was positive and constructive face of any system obviously used for a special purpose that’s freedom. Manu rishi made caste system but not for destructive or negative purpose and aspects. according to original system of caste, its all about profession. As a person is warrior or work for the security of nation or that time kingdom is KHASHTRIYA. Same different types of work specialist were being ordered by different caste like SWARN, BRAHAMMAN, VAISHAY AND SHOODRA. But partially was not there. All with the race of time and because of less understanding of social system of some people who were arrogant too. People failed to get this system but misutilise the order. Later this system was a bias just bias. Real purpose of manu maharaja was dash to ground. But bunch of people who were rich, they made a line between poor people. Hence system becomes the personal property of few rubbish people. Some time before today condition was alarming.
But today we are in race of developed nation. But is it possible? According to me answer is big NO. Before discussing about my answer we should know the meaning and real meaning of development. While I was writing this article I used thesaurus of Microsoft Office 7 on my laptop. It shows some intrusting words. I folded my hands, put against my face. I’ll explain later that why I did so. Let’s see the words:
Developed= urbanized, urban, residential etc.
I used thesaurus for this word today, but people may be for many years. Without knowing the exact meaning how can we achieve the exact target. This is the main problem and obstacle in our way from developing country to developed nation. We have words that education is must to eradicate the social evil. But what type of education is must? What type of education is required to eradicate social evils? Not only caste system but many more. First we have to differentiate between system and evils. Today’s education system is not capable to do so. Our education system gives us only degree or marks but not the exact knowledge. We become the degree holder not educated. But if we have to eradicate the evils from society we have to be educated. If we look back to our history we have many examples of social coordination. Today we don’t have time for our family, not for self even. What is this? Is this development? This is a fake system pasted on our system by covering our system’s originality and being labeled by civilized system.
Our education system is being brought up by English people. It is a tunnel which leads us to darkness and fake features of life. This education system can’t help us. It is leading us away from our motherland. Which is dangerous for us? Its good that we are touching sky, but on the cost of leaving the ground its stupidity. Our culture, our motherland is our life. I folded ma hand that saves us from this so called Education system.
I wrote about caste issue earlier because this is like a puzzle. Solution is the exact knowledge of our DHARMA and KARMA. I was talking about social coordination. Today because of this education system most of our degree holder are called modern. Another question that what is modernization? Is it to forget our motherland? Is it to forget our conscience? My answer is no. how can we expect that on base of current education system that we will be modern. Today we are running behind western countries. We are becoming western not modern. Today social coordination is nill. Hence non social elements are performing their job. Today by bitching the politician and system we finish our duty. Why we don’t come forward to do anything? But most of people are neutral. Which is not good. If we are neutral. Oit means we are running away from our duty. Such type of people are also criminal of society. We must have some stand. Most of time most of people don’t cry for other, but when their neck comes under knife they become the true social man and start bitching against he/she wish. We ignore until being hammered. Every problem is the result of our ignorance behavior. I admit that system has many flaws but our silence and ignoring nature is making the condition worst. We shout on politician that they are corrupt, but are we fair? Are we doing anything against corruption?
Corruption is a virus which destroyed all the system. That system which is essential for nation’s welfare. In our society there are many kind of citizen. All keep their own view. But the common point should be that common people should come forward to improve the system. But problem is of thinking. Today I read an online article that was titled end of ideological politics. It was beautiful article and problem is also there that what politics is and who the politician is? They are one of us. We are waiting the fair policies and ideological politics from them indirectly from ourselves. Lack or crises of ideology not only in politics but in our day to day life is a issue of concern that why it is so? Because we all are becoming ignorant to the national issue but finish our duty by bitching anyone. I watched a movie titled YEH MERA INDIA {Y.M.I}. This movie is a mirror to us who classified self in elite class but failed to define it. In this movie a rich and so called high class lady blamed other for everything like for arrogant behavior of her daughter she blamed the TV channels, even she watch pirated movie and collect cash to avoid tax, but national crises is because of every other person except her. I mean to say that every citizen of India is responsible for its good or bad condition. I’m writing about caste system because some people are blaming Hindu dharma for this system. This was a planned system but people made it an evil. We should proud on that we are developing our nation but on what cost it’s an important question. We are leaving our ground. Which is not necessary for development but important to walk on ground look at the dream think about our society’s welfare and work for our motherland?
Our motherland is an ancient country. Not need to define its age. We were civilized since origin. Foreign rulers just snatch our wealth and tried to crush our culture.
Words are more but conclusion is same that our culture is rich and we not need to learn about civilized lifestyle just need to recall our real Sanskrit and follow the path of bharat the real bharat varsh …
Tuesday, September 7, 2010
देश में पार्ट टाइम सरकार नही चलेगी
सोचना होगा देश के युवाओ को कि विकास कि राजनीति कि जाये! किसी के झांसे में न आकर आपने देश के बारे में सोचा जाए! युवा देश कि नीतिया केसी हो इस सरकार को सिखने कि जरुरत है! पारिवारिक फूट डालने वाली राजनीति अब नही चलेगा! ऐसा बताने का समय सर पर है! महंगाई कि समस्या गंभीर है! और हम भी कुछ हद तक जिम्मेवार है! आओ प्रण करे कि अपनी ग़लतिया सुधारेंगे और सरकार को राजनीती सिखाएंगे कि कृषि प्रधान देश में महंगाई कांग्रेस नीत उप सरकार कि वजह से है! कृषि प्रधान देश को यदि नीतिगत तरीके से चलाया जाए तो बेहतर परिणाम होंगे! कांग्रेस नीत ऐसी पार्ट टाइम सरकार नही चलेगी जिसका फुल टाइम समय देश को लूटने में चला जाता हो.!
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
कॉमन जनता कि वेल्थ का गेम बज रहा है
Republic
Republic
where supreme power rests in the people and their elected representatives or officers, as opposed to one governed by a king or similar ruler; a commonwealth
Ancient India
Political System
Ancient period started ending after 1001 C.E. when Sultan Mahmud defeated Jaipal. But was in practice for more than 3,000 years before that – the longest period of continuous civilizational history. Hundreds of kings but by and large uniform system of laws throughout the country known as Bharatvarsha.
John Mayne said in July, 1878 “Hindu Law has the oldest pedigree of any known system of jurisprudence, and even now it shows no signs of decrepitude. At this day it governs races of men, extending from Cashmere to Cape Comorin, who agree in nothing else except their submission to it.”
Contrast this with Europe – less than fifty kings, but no common set of laws. Right to make laws considered fundamental to sovereignty.
Legislative System in Ancient India
Laws codified as Smritis
Smritis were supposedly written by Rishis Some Rishis - Manu, Atri, Vishnu, Harita, Yajnavalkya, Usanas, Angiras, Yama, Apastamba, Samvarta, Katyayana, Brihaspati, Parasara, Vyasa, Sankha, Likhita, Daksha, Gautama, Satatapa and Vashishtha Names of rishis represent schools / universities and not individuals. Smritis were regularly modified by the schools / universities. Smritis decided the duties and role of kings. A king was prohibited from making laws or even interpreting laws. Muslim invaders destroyed the universities, this eliminated the mechanism that modified Smritis and kept them always in line with times. Many Muslim kings continued to follow the Smritis. After the destruction of universities, many ministers wrote commentaries of Smritis; but no king dared even comment on a Smriti leave alone make a law.
condition in Muslim Kingdoms
In the 16th century, Dalapati wrote an encyclopaedic work on Dharmasastra called the Nrisimha-prasada. He was a minister of the Nizamshah Dynasty of Ahmednagar which ruled at Devagiri (Dowlatabad). Todarmalla, the famous finance minister of the Moghul Emperor Akbar, compiled a very comprehensive work on civil and religious law known as Todarananda.
Two Relevant Points
There is no commentary of any Smriti written before 1000CE.Even in Islam, a king is not supposed to make laws.
Judicial System in ANCIENT INDIA
King was supposed to be a fountain of justice in a figurative manner.
Actual dispensation of justice was done by a complex system consisting of a hierarchy of people’s tribunals and the Royal Court headed by the Chief Judge. People at large participated through Kula, Puga and Sreni. There was more than an arm’s length distance between the persons exercising the legislative function and the judicial system. King’s will had no role to play in the dispensation of justice and it was neither possible for him to show any favours or disfavours. Overall monitoring of judiciary was exercised by the universities, while day-to-day superintendence rested with the King.
Gantantra & Republic
Gantantra has been treated as Hindi / Sanskrit translation of Republic, which is not correct. Gantantra – “A state in which law making and interpretation is influenced or controlled by independent institutions (and persons) of learning”. GAN = to think, to count; as in GANIT, GANESH. GANAH = a collection, group, followers, a community formed for a common purpose and a division of the army consisting of 27 elephants, 27 chariots, 81 horses and 135 soldiers on foot
Gantantra & Bharatvarsha
Bharat = Bha + Rat (Immersed in light). Bharatvarsha = the region where knowledge rains. Hindu = H (Sky) + Indu (Moon) = Moon in the sky. Ancient Indian system of Gantantra allowed territorial expansion – any king joining the system would continue to rule while giving up his legislative and judicial powers. This was a political unity which could not be grasped by the British. Hence the claim that British united India.
ठोकर लगे तो राह बदलता नहीं हूँ मैं !!
रख दूँ जहाँ कदम नए रास्ते बनें !
खीचीं हुई लकीरों पर चलता नहीं हूँ मैं !!